साथियों नमस्कार, Hindi Kahaniya के इस अंक में हम आपके लिए लेकर आएं हैं एक पिता-पुत्र की मार्मिक कहानी “परिवार” जिसे पढ़कर आपको अपने बच्चों की परवरिश से लेकर उनके आपके प्रति चल रहे विचारों को बखूभी से समझने का मौका मिलेगा! आशा है आपको हमारी यह कहानी पसंद आएगी….
परिवार शिक्षाप्रद कहानी
हर रात की तरह आज भी में देर रात घर पहुंचा! हमेशा से कोई भी गलत आदत न होने के कारण कॉलोनी में कोई भी मुझे देर रात आने पर गलत नज़रों से नहीं देखता था! में हमेशा इस बात को लेकर गर्व करता की लोग अपने बच्चों को मेरी उपलब्धियों का उदारहण देकर अच्छा पढने-लिखने की सलाह देते हैं|
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खैर, यही सब सोचते हुए मैंने अपनी चाबी से घर का दरवाज़ा खोला|हांलाकि मुझे पता था की जब तक में घर नहीं पहुँचता तब तक दीप्ती को नींद नहीं आती थी, पर में अपने पांच साल के बेटे चिंटू को नींद से नहीं जगाना चाहता था|
दरवाज़े की हलकी सी आहट पाकर दीप्ती हमेशा की तरह कमरे से बहार आई, तब तक में मुह-हाथ धोने बाथरूम की तरफ जा चूका था और हमेशा की तरह दीप्ती खाना गरम करने किचन में चली गई| हर रोज़ ऐसा ही होता था, सुबह घर से निकलने के बाद हमारी मुलाकात रात को खाने पर ही होती थी|
दीप्ती को इस तरह की जीवन शैली से कोई Problem नहीं थी| एक हाई-क्लास सोसाइटी में अपनी साख बनाने के लिए हर किसी को इस हद तक की मेंहनत करना ही पड़ती थी|
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चिंटू सो गया ? (खाना खाते हुए मैंने दीप्ती से पूछा)
हाँ काफ़ी देर से आपका इंतजार कर रहा था, लेकिन फिर इंतजार करते-करते ही सो गया (दीप्ती ने शिकायत भरे लहज़े से कहा)
लेकिन, हर बार की तरह मेने मुस्कुराकर बात को टाल दिया!
अगली सुबह
रात को देर से सोने के कारण हर रोज़ में सुबह देर से ही उठता था| लेकिन जब तक में उठता तब तक चिंटू स्कूल चला जाता था| चिंटू की हमेशा शिकायत रहती की में उसे कभी बाहर घुमाने नहीं ले जाता, और शायद इसी बात को लेकर वो मुझसे नाराज़ भी था!
हमेशा की तरह मैंने उठ कर दीप्ती को आवाज़ लगाई, और बाथरूम में घुस गया| थोड़ी देर में ही दीप्ती नहाने के लिए गरम पानी ले आई|
तुम नहीं होती तो मेरा क्या होता (हमेशा की तरह मैंने पानी की बाल्टी लेते हुए अपना घिसा-पिटा डायलॉग मारा, और हमेशा की तरह ही दीप्ती मुस्कुराते हुए खाने की तैयारी करने किचन में चली गई)
खैर, Office के लिए तैयार होकर जब में Dining Table पर आया तो चिंटू मुह फुलाए बेठा था|
क्या बात है, जनाब आज स्कूल नहीं गए (मेने प्यार से चिंटू के बालों पर हाथ घुमाते हुए बोला)
आज Sunday है! (चिंटू ने घुस्से भरी आवाज़ से कहा)
आप पढ़ रहें हैं “परिवार | Hindi Kahaniya”
<काम की भाग-दौड़ में, मै यह भी भूल गया था…की आज Sunday है, और आज दिन में मैंने चिंटू के साथ मूवी जाने का Promise किया था| लेकिन आज तो मुझे Clint Meeting के लिए office जाना था>
मुझे office जाता देख चिंटू को अपना movie प्लान खतरे में पड़ता दिखाई दे रहा था और शायद इसी लिए वो मुझसे गुस्से से बात कर रहा था|
पापा आप एक घंटे के कितने पैसे कमा लेते हो (अचानक चिंटू ने पूछा)
<चिंटू ने पहले कभी इस रवैये से मुझसे बात नहीं की थी, शायद गुस्से में उसने ऐसा कह दिया>
लगभग 1000 रूपए (मेने कहा)
क्या आप मुझे 500 रूपए उधार दे सकते हो (चिंटू ने कहा)
लेकिन तुम्हे पैसे क्यों चाहिए (मेने थोडा गंभीर होते हुए पूछा)
मुझे चाहिए (चिंटू ने बनावटी मुह बनाते हुआ कहा)
खैर, मैंने चिंटू को 500 रूपए दे दिए
चिंटू उठा और अन्दर से अपनी गुल्लक ले आया
चिंटू ने अपनी गुल्लक से 500 रूपए निकाल कर 1000 रूपए मेरे हाथ में रखते हुए कहा, “क्या आप कल मुझे आपका एक घंटा दे सकते हैं, मुझे आपके साथ बैठ कर खाना खाना है”
बहुत बिगाड़ रखा है, तुम्हारी मम्मी ने तुम्हे….(चिंटू की इस हरकत पर मैंने गुस्से से चिंटू को एक थप्पड़ लगाते हुए कहा)
आज Office जाते हुए मेरे मन में बस यही सोच रहा था, कि “इस भागदौड़ भरी ज़िन्दगी में क्या सब कुछ ख़रीदा जा सकता है” हांलाकि में भी तो चिंटू को यही सिखा रहा था|
कहानी से सीख
कहानी का तर्क यही है की परिवार के लिए पैसा कमाने की चाह में हम परिवार को समय देना ही भूल जाते हैं| ज़िन्दगी में सबके बिच में ताल-मेल बिठा कर चलना ही समझदारी है!
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