Hanuman Chalisa Lyrics : आज मैं आपके साथ प्रभु श्री राम के प्रिय भक्त हनुमान जी की आरती यानि श्री हनुमान चालीसा अर्थ सहित, और Hanuman Chalisa Lyrics in Hindi, और निचे हमने hanuman chalisa in hindi PDF Download लिंक शेयर करने जा रहा हूँ।
यदि आप भारतीय हैं तो यकीनन ही आपने रामायण तो जरूर देखी होगी और आप में से काफी बच्चों ने इसे पढ़ाई के अनुसार हिन्दी के विषय में भी पढ़ा होगा। मैं यहाँ आपसे रामायण कथा से जुड़ा कोई प्रश्न नहीं पूछ रहा हूँ, इसलिए घबराने की कोई आवश्यकता नहीं है। लेकिन यदि आपको याद हो तो रामायण में कुछ मुख्य पात्र हैं और उनमें से एक हमारे बजरंगबली भी है।
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वैसे तो बजरंगबली के कई कहानी बहुत प्रचलित है जिसकी वजह से कई व्रत, पूजा पाठ इत्यादि किए जाते है लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि हम मंगलवार के दिन ही हनुमान जी की पूजा क्यों करते हैं?

हनुमान चालीसा क्या है । hanuman chalisa in hindi
श्री हनुमान चालीसा हिंदू धर्म में एक प्रसिद्ध पौराणिक दोहा है, जो श्री राम भक्त हनुमान की महिमा का वर्णन करता है। इसे अधिकतर भारतीय घरों में रोजाना जपा जाता है।
और इसके जप से भगवान हनुमान की कृपा मिलती है। श्री हनुमान चालीसा रचयिता महान भारतीय संत और कवि तुलसीदास जी ने 16वीं शताब्दी में हनुमान चालीसा की रचना की थी जो इसे संस्कृत और अवधी भाषाओं में लिखा था।
श्री हनुमान चालीसा में चालीस दोहे होते हैं जो भगवान हनुमान की जय-जयकार, महिमा, उनके गुणों और उनके कार्यों का वर्णन करते हैं। इसे पढ़ने या सुनने से व्यक्ति को भगवान हनुमान की कृपा प्राप्त होती है
और उनके जीवन के सभी बाधाओं और परेशानियों संकट/कष्ट दूर हो जाते हैं। और सफलता, शांति और घर में समृद्धि प्राप्त होती है।
हनुमान जी का जन्म कब और कैसे हुआ?
यदि आपको ज्ञात ना हो तो चलिए मैं आपको बताता हूँ कि कई ज्योतिषी के गणना अर्थात कैलकुलेशन के अनुसार हनुमान जी का जन्म 58 हजार 112 वर्ष पहले हुआ था लेकिन मान्यता के अनुसार त्रेतायुग के अंतिम चरण में चैत्र माह के पूर्णिमा दिन को मंगलवार के दिन चित्रा नक्षत्र व मेष लग्न के योग में सुबह 6.03 बजे हनुमान जी का जन्म हुआ था।
यदि हम स्थान की बात करें तो हनुमान जी का जन्म भारत देश में आज के झारखंड राज्य के गुमला जिले के आंजन नाम के छोटे से पहाड़ी गाँव के एक गुफा में हुआ था। अक्सर आपने देखा होगा कि लड़कियों के मुकाबले लड़के बजरंगबली के ज्यादा भक्त होते हैं, क्या आपको इसके पीछे का कारण ज्ञात है?
यदि आपको ज्ञात है या फिर आपके हिसाब से इसके पीछे का कारण क्या है वो पता है तो आप नीचे दिये गए कमेंट बॉक्स में कमेंट कर के जरूर बताये।
हनुमान जी के 12 नाम हिंदी में
- ॐ हनुमान मंत्र
- ॐ अनजनी सुत मंत्र
- वायु पुत्र मंत्र
- ॐ महाबल मंत्र
- ॐ रामेष्ठ मंत्र
- फाल्गुण सखा मंत्र
- ॐ पिंगाक्ष मंत्र
- ॐ अमित विक्रम मंत्र
- उदधिक्रमण मंत्र
- ॐ सीता शोक विनाशन मंत्र
- लक्ष्मण प्राण दाता मंत्र
- दशग्रीव दर्पहा मंत्र
हनुमान जी के नाम का अर्थ क्या है?
जैसा कि आप जानते ही है कि हनुमान जी के हनुमान नाम के अलावा भी अनेक नाम है जैसे बजरंगबली, मारुति, अंजनी सुत, पवनपुत्र, संकटमोचन, केसरीनन्दन, महावीर, कपीस, शंकर सुवन आदि 108 नाम है। तो चलिये पहले मैं आपको बताता हूँ कि हनुमान शब्द का क्या अर्थ क्या है और फिर इसके बाद हम जानेंगे कि बजरंगबली शब्द का हिन्दी अर्थ क्या है?
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संस्कृत का एक शब्द है हनुः जिसका हिन्दी अर्थ है चिबुक, ठुड्डी, ठोड़ी या जबड़ा और इसकी मूल धातु है धनु जिसका मतलब कठोर है|
संस्कृत की मूल धातु धनु से परवर्ती संस्कृत में ग ध्वनि का लोप हो गया और इसका रूप बना हनुः। मैं आपको बता दूँ कि हनुमान जी के नामकरण में भी इसी धनु या हनुः का योग रहा है।
पुराणकथा के अनुसार जन्म लेते ही महाबली फल समझकर सूर्य को खाने लपके थे और तभी सूर्य को इनकी पकड़ से छुड़ाने के लिए इन्द्र ने अपने वज्र से इन पर प्रहार किया जिससे इनका जबड़ा यानी हनु टेढ़ी हो गई और फिर तभी से इन्हें हनुमान कहने लगे।
हनुमान नाम के अलावा जो दूसरा नाम अक्सर आप सुनते हैं वो बजरंगबली है और इस नाम के पीछे वज्र शब्द का सबसे ज्यादा योगदान है।
संस्कृत में एक शब्द है वज्र या वज्रम् जिसका अर्थ है बिजली, इन्द्र का शस्त्र, हीरा अथवा इस्पात। इससे ही हिन्दी का वज्र शब्द बना है।
हनुमान जी को वैसे तो पवन पुत्र भी कहा जाता है लेकिन वो वानर राज केसरी और अंजनी के पुत्र थे और केसरी को ऋषि-मुनियों के द्वारा अत्यंत बलशाली और सेवाभावी संतान होने का आशीर्वाद मिला था और यही वजह है कि हनुमान का शरीर लोहे के समान कठोर था इसलिए उन्हें वज्रांग कहा जाने लगा।
अत्यंत शक्तिशाली होने से वज्रांग के साथ बली शब्द जुड़कर उनका नाम हो गया वज्रांगबली जो बोलचाल की भाषा में बना बजरंगबली।
आइये अब हम आगे बढ़ते हैं और Hanuman Chalisa in Hindi पढ़ने से पहले हम श्री हनुमान चालीसा के जाप के लाभ के बारे में जानते हैं.
श्री हनुमान चालीसा का लाभ । Benefits of Hanuman Chalisa Lyrics in Hindi
- हनुमान जी को प्रतिदिन याद करने और हनुमान जी के मंत्र का जाप करने से मनुष्य के सभी भय दूर होते है।
- शनि साढ़ेसाती या महादशा से पीड़ित जातकों के लिए हनुमान चालीसा का पाठ करना लाभदायक माना जाता है।
- इसके साथ ही जिन लोगों की कुंडली में मांगलिक दोष हो उनके लिए भी हनुमान चालीसा का पाठ लाभदायक समझा जाता है।
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Hanuman Chalisa Lyrics in Hindi
Shri Hanuman Chalisa in Hindi
दोहा :
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।।
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।।
चौपाई :
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।
रामदूत अतुलित बल धामा।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।
महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी।।
कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुंडल कुंचित केसा।।
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।
कांधे मूंज जनेऊ साजै।
संकर सुवन केसरीनंदन।
तेज प्रताप महा जग बन्दन।।
विद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर।।
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया।।
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा।।
भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचंद्र के काज संवारे।।
लाय सजीवन लखन जियाये।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।।
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।।
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा।।
जम कुबेर दिगपाल जहां ते।
कबि कोबिद कहि सके कहां ते।।
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राज पद दीन्हा।।
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना।
लंकेस्वर भए सब जग जाना।।
जुग सहस्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।
दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।
राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।
सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डर ना।।
आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हांक तें कांपै।।
भूत पिसाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै।।
नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा।।
संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।
सब पर राम तपस्वी राजा।
तिन के काज सकल तुम साजा।
और मनोरथ जो कोई लावै।
सोइ अमित जीवन फल पावै।।
चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा।।
साधु-संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे।।
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
अस बर दीन जानकी माता।।
राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा।।
तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम-जनम के दुख बिसरावै।।
अन्तकाल रघुबर पुर जाई।
जहां जन्म हरि-भक्त कहाई।।
और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई।।
संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।
जै जै जै हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।
जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बंदि महा सुख होई।।
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा।।
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय मंह डेरा।।
दोहा :
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।
हनुमान चालीसा हिंदी में PDF । Shri Hanuman Chalisa PDF in Hindi
विषय | श्री हनुमान चालीसा पाठ PDF in Hindi। Hanuman Chalisa Hindi Lyrics, हनुमान चालीसा हिंदी में PDF, hanuman chalisa in hindi pdf |
केटेगरी | धार्मिक |
हनुमान चालीसा पाठ का फायदा | संघर्षों से न डरना, विनम्र बनना, |
भाषा | हिंदी में |
हनुमान चालीसा के लेखक | तुलसीदास |
दोहे | दो दोहे |
छंद | 40 |
हनुमान चालीसा हिंदी PDF डाउनलोड | क्लिक करें |
hanuman chalisa Hindi PDF
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Hanuman Chalisa Lyrics in Hindi with Meaning
यहाँ मैं श्री हनुमान चालीसा की चौपाई के साथ – साथ आपको उसका हिन्दी अर्थ भी बताऊँगा, ताकि आपको हनुमान चालीसा का एक – एक शब्द अच्छे से समझ में आ जाये
और फिर जब आप सुबह उठ कर स्नान के बाद हनुमान चालीसा का जाप करेंगे तो यकीनन ही आपको अंतर्मन से बेहतर महसूस होगा.
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।।
अर्थ: तुलसीदास जी कहते हैं कि अपने गुरु के चरणों की धूल को स्पर्श करके मन, आत्मा और बुद्धि को पवित्र करते हुए श्री रघुवीर के निर्मल यश का गुणगान करता हूं, जो चारों फल धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को वितरित करते हैं.
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।।
अर्थ: हे पवनपुत्र हनुमान! मैं आपसे विनती करता हूं कि मुझ जैसे निर्बल और बुद्धिहीन को ऊर्जा (ताकत) बुद्धि और ज्ञान देकर, मेरे क्लेश और दुखों को दूर कीजिए.
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।
अर्थ: हे पवनपुत्र हनुमान! आपके ज्ञान और गुण पृथ्वी पर सागर की तरह विशाल है, जिनका कोई अंत नहीं है| इस ब्रह्मांड के तीनो लोक आकाश लोक, भूलोक और पाताल लोक में आपकी यश और कीर्ति की चर्चा है.
रामदूत अतुलित बल धामा।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।
अर्थ: हे रामदूत! अंजनी-पुत्र, पवनसुत ये सब आपके ही नाम है और इस ब्रम्हांड में आपकी समान कोई भी बलवान नहीं है.
महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी।।
अर्थ: हे पवनपुत्र महावीर बजरंगी! आप दुनिया के सबसे बड़े पराक्रमी हैं, आप बुद्धिहीन व्यक्ति को बुद्धि प्रदान करते हैं और अच्छी बुद्धि का साथ देते हैं.
कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुंडल कुंचित केसा।।
अर्थ: हे बजरंगबली! आप सुनहरी रंग और सुंदर वस्त्रों से सजे हुए हैं, और आपके कानों में कुंडल और आपके बाल घुंघराले हैं.
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।
कांधे मूंज जनेऊ साजै।।
अर्थ: हे बजरंगबली! आपके एक हाथ में बज्र और दूसरे हाथ में ध्वजा रहती है, एवं आपके कंधे पर मूंज का जनेऊ आपकी शोभा बढ़ाता है.
संकर सुवन केसरीनंदन।
तेज प्रताप महा जग बन्दन।।
अर्थ: हे केसरीनंदन हनुमान! आप भगवान शंकर के अवतार हैं, आपके तेज और प्रताप की पूरे संसार में बंदना की जाती है.
विद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर।।
अर्थ: हे हनुमान! आप जितना विद्यावान, समझदार (गुनी) और चतुर इस संसार में कोई नहीं, और आप अपनी इसी बुद्धि और विद्या का प्रयोग श्री राम के कार्यों में बड़े ही अच्छे ढंग से करते हैं.
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया।।
अर्थ: हे पवनसुत हनुमान! जिस तरह आप श्री राम जी का चरित्र (रामचरितमानस) सुनने के लिए आतुर रहते हैं उसे देख कर लगता है कि आपके तन, मन, बदन हर जगह भगवान राम और माता सीता निवास करती है.
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा।।
अर्थ: हे पवनपुत्र हनुमान! इस दुनिया में आपका कोई सानी नहीं है, एक क्षण में अपने छोटा रूप धारण कर माता सीता को दर्शन दिए थे और दूसरे क्षण आपने विकट विकराल रूप धारण कर लंका को जला दिया था.
भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचंद्र के काज संवारे।।
अर्थ: हे पवनपुत्र हनुमान! आपने विकराल रूप धारण कर असुरों का संहार किया और रामचंद्र जी के उद्देश्यों को सफल बनाने में उनका साथ दिया।
लाय सजीवन लखन जियाये।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।।
अर्थ: आपने संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण को जीवनदान दिया था, उसे देख कर श्री रघुवीर का हृदय आपके प्रति हर्ष से भर गया।
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।
अर्थ: हे हनुमंत! श्री राम आपको इतना पसंद करते हैं कि वे आपकी बढ़ाई करते हुए नहीं थकते हैं, उनको लिए आप अपने भाई भरत की तरह अत्यंत प्रिय हो।
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।।
अर्थ: हे पवनपुत्र हनुमान! श्री राम ने आपको यह कह कर गले से लगा लिया कि तुम्हारा सारा बदन दूसरों के जस लिए गुणगान करता है.
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा।।
अर्थ: सनकादि, ब्रह्मा, विष्णु, ऋषि-मुनि, नारद एवं समस्त देव सहित आपके तेज यश बल आदि का गुणगान करते हैं.
जम कुबेर दिगपाल जहां ते।
कबि कोबिद कहि सके कहां ते।।
अर्थ: हे अंजनीपुत्र हनुमान! समस्त ब्रह्मांड में आपका यह इतना बड़ा है, कि कोई भी यमराज, कुबेर, पंडित, विद्वान आदि आपके यश का गुणगान नहीं कर सकता.
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राज पद दीन्हा।।
अर्थ: हे अंजनीपुत्र! आपने एक उपकार सुग्रीव पर यह किया था, कि उन्हें राम से मिलाया और उनका राजकाज उन्हें वापस मिल सका.
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना।
लंकेस्वर भए सब जग जाना।।
अर्थ: आप के आदेश का पालन विभीषण ने भी किया था, जिसकी वजह से विभीषण लंका का राजा बना था, इस बात को पूरा संसार जानता है.
जुग सहस्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।
अर्थ: हे महावीर हनुमान! जो सूर्य इस पृथ्वी से लाखों जुग, योजन दूर है जहां तक पहुंचना ही असंभव सा कार्य है, अपने उस सूर्य को एक मीठा फल समझकर निगल लिया था.
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।
अर्थ: हे हनुमंत! वह आप ही हो जिसने श्री राम की अंगूठी अपने मुंह में रखकर जल संसार को लांघ उस अंगूठी को सीता जी तक पहुंचाया था, और इसमें कोई अचरज की बात नहीं है.
दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।
अर्थ: हे हनुमान! इस संसार में जो भी काम सबसे ज्यादा कठिन है, वह आपकी कृपा से शुभम सरल रूप से हो जाता है.
राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।
अर्थ: हे हनुमान! आप राम को अपना सबसे प्रिय मानते हैं और उनकी रक्षा के हित में उनकी आज्ञा के बिना किसी को भी उन तक नहीं पहुंचने दे सकते हैं.
सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डर ना।।
अर्थ: जो कोई आप की शरण में आता है वह संसार से परे सब सुखों का आनंद उठाता है, जो संसार रूपी सभी सुखों से परे है, और आप जिस की रक्षा कर रहे हैं उसे डरने की कोई आवश्यकता नहीं है.
आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हांक तें कांपै।।
अर्थ: आपका तेज और आप की गति इतनी हैं कि उसे आप ही संभाल सकते हैं, अन्यथा आपके तेज की गर्जना से तीनों लोक कांप जाते हैं.
भूत पिसाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै।।
अर्थ: हे महावीर हनुमान! जब कोई व्यक्ति आपका नाम सुमिरन करता है, तब भूत पिशाच एवं दुष्ट आत्मा आपके आसपास भी नहीं भटक सकते है.
नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा।।
अर्थ: हे हनुमंत! जो मनुष्य आपके नाम का निरंतर जप करता है, उसके सभी रोग, दर्द एवं सभी प्रकार की परेशानियों का निवारण हो जाता है.
संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।
अर्थ: हे हनुमान! जो मनुष्य अपने कार्य, मन, वचन आदि में आपका ध्यान करता है, उसकी सभी परेशानियों का निवारण आप स्वयं करते हैं.
सब पर राम तपस्वी राजा।
तिन के काज सकल तुम साजा।।
अर्थ: इस संसार में तपस्वी राजा रामचंद्र जी सबसे श्रेष्ठ माने जाते हैं, उनके सभी कामों को आपने सहज सरल किया है.
और मनोरथ जो कोई लावै।
सोइ अमित जीवन फल पावै।।
अर्थ: जो मनुष्य आपको सच्चे भाव से याद करता है, आप उस पर ऐसी कृपा करते हैं, जो उसके जीवन में सबसे महत्वपूर्ण होती है.
चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा।।
अर्थ: इस संसार में चार युग हैं “सतयुग, त्रेता, द्वापुर, कलयुग” और इन सभी युग में आपकी यश कीर्ति विद्यमान है, और इस संसार में आपका यश सर्वत्र विशेष है.
साधु-संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे।।
अर्थ: हे हनुमान! आप श्री राम के प्रिय सज्जनों की हमेशा रक्षा करते हैं, और दुष्टों का हमेशा नाश करते हैं.
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
अस बर दीन जानकी माता।।
अर्थ: हे हनुमंत! आपकी सेवा भावना से श्री जानकी माता ने प्रसन्न होकर आपको वरदान दिया है, उस वरदान के तहत आप किसी अपने प्रिय को आठ सिद्धियां और नौ निधियों का मालिक बना सकते हैं.
राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा।।
अर्थ: हे हनुमान! आप श्री राम की भक्ति में इतने मग्न है कि अब राम नाम आपके लिए औषधि बन चुका है, आपको बुढ़ापा एवं अन्य बीमारियां छू भी नहीं सकती जब तक आप भगवान राम की शरण में हैं.
तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम-जनम के दुख बिसरावै।।
अर्थ: हे अंजनीपुत्र! जो कोई मनुष्य आपकी भक्ति करता है, उसके कई जन्मों के दुख दूर हो जाते हैं और वह मनुष्य श्री राम का प्रिय बन जाता है.
अन्तकाल रघुबर पुर जाई।
जहां जन्म हरि-भक्त कहाई।।
अर्थ: हे हनुमान! यदि आप जीवन मरण के फेर में बंधे हुए होते तो अंत समय आप श्री रामधाम अयोध्या में जाते और फिर से जन्म लेकर श्री राम भक्ति कहलाते.
और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई।।
अर्थ: हे हनुमंत! यदि कोई मनुष्य आपकी आराधना करता है तो उसे सब सुख प्राप्त होते हैं, एवं उसे किसी अन्य देव की आवश्यकता नहीं रह जाती है.
संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।
अर्थ: जो मनुष्य हनुमान जी का ध्यान करता है एवं उनकी आराधना करता है, हनुमान जी उसके सब दुख संकट दूर करते हैं.
जै जै जै हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।
अर्थ: हे हनुमान! मैं आपकी जय जयकार करता हूं, कृपया आप मुझ पर अपनी कृपा एक गुरु की भांति बनाए रखें.
जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बंदि महा सुख होई।।
अर्थ: जो मनुष्य हनुमान चालीसा का 100 बार पाठ करेगा, वह मनुष्य संसार रूपी बंधनों से छूटकर भगवान के परमानंद की प्राप्ति करेगा।
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा।।
अर्थ: जो मनुष्य नियमित रूप से हनुमान चालीसा का पाठ करेगा, वह व्यक्ति अपने जीवन काल में नई उपलब्धियां हासिल करेगा और हर काम में सफलता पाएगा। इस बात के साक्षी स्वयं भगवान शंकर है.
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय मंह डेरा।।
अर्थ: हे पवनपुत्र हनुमान! तुलसीदास हमेशा से श्री राम के भक्त रहे हैं, कृपया आप उनके हृदय में निवास करें, जिससे उनका उद्धार हो सके.
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।
अर्थ: हे पवनपुत्र हनुमान! आप संकटों को हरने वाले और शुभ कार्यों के प्रतीक हैं, मैं तुच्छ व्यक्ति आपसे विनती करता हूं कि आप राम लखन सीता सहित मेरे हृदय में निवास करें.
Shri Hanuman Chalisa in English / Hinglish
Doha
Shri Guru Charan Sarooja-raj Nija manu Mukura Sudhaari
Baranau Rahubhara Bimala Yasha Jo Dayaka Phala Chari
Budhee-Heen Thanu Jannikay Sumirow Pavana Kumara
Bala-Budhee Vidya Dehoo Mohee Harahu Kalesha Vikaara
Chaupai
Jai Hanuman gyan gun sagar
Jai Kapis tihun lok ujagar
Ram doot atulit bal dhama
Anjaani-putra Pavan sut nama
Mahabir Bikram Bajrangi
Kumati nivar sumati Ke sangi
Kanchan varan viraj subesa
Kanan Kundal Kunchit Kesha
Hath Vajra Aur Dhuvaje Viraje
Kaandhe moonj janehu sajai
Sankar suvan kesri Nandan
Tej prataap maha jag vandan
Vidyavaan guni ati chatur
Ram kaj karibe ko aatur
Prabu charitra sunibe-ko rasiya
Ram Lakhan Sita man Basiya
Sukshma roop dhari Siyahi dikhava
Vikat roop dhari lank jarava
Bhima roop dhari asur sanghare
Ramachandra ke kaj sanvare
Laye Sanjivan Lakhan Jiyaye
Shri Raghuvir Harashi ur laye
Raghupati Kinhi bahut badai
Tum mam priye Bharat-hi-sam bhai
Sahas badan tumharo yash gaave
Asa-kahi Shripati kanth lagaave
Sankadhik Brahmaadi Muneesa
Narad-Sarad sahit Aheesa
Yam Kuber Digpaal Jahan te
Kavi kovid kahi sake kahan te
Tum upkar Sugreevahin keenha
Ram milaye rajpad deenha
Tumharo mantra Vibheeshan maana
Lankeshwar Bhaye Sub jag jana
Yug sahastra jojan par Bhanu
Leelyo tahi madhur phal janu
Prabhu mudrika meli mukh mahee
Jaladhi langhi gaye achraj nahee
Durgaam kaj jagath ke jete
Sugam anugraha tumhre tete
Ram dwaare tum rakhvare
Hoat na agya binu paisare
Sub sukh lahae tumhari sar na
Tum rakshak kahu ko dar naa
Aapan tej samharo aapai
Teenhon lok hank te kanpai
Bhoot pisaach Nikat nahin aavai
Mahavir jab naam sunavae
Nase rog harae sab peera
Japat nirantar Hanumant beera
Sankat se Hanuman chudavae
Man Karam Vachan dyan jo lavai
Sab par Ram tapasvee raja
Tin ke kaj sakal Tum saja
Aur manorath jo koi lavai
Sohi amit jeevan phal pavai
Charon Yug partap tumhara
Hai persidh jagat ujiyara
Sadhu Sant ke tum Rakhware
Asur nikandan Ram dulhare
Ashta-sidhi nav nidhi ke dhata
As-var deen Janki mata
Ram rasayan tumhare pasa
Sada raho Raghupati ke dasa
Tumhare bhajan Ram ko pavai
Janam-janam ke dukh bisraavai
Anth-kaal Raghuvir pur jayee
Jahan janam Hari-Bakht Kahayee
Aur Devta Chit na dharehi
Hanumanth se hi sarve sukh karehi
Sankat kate-mite sab peera
Jo sumirai Hanumat Balbeera
Jai Jai Jai Hanuman Gosahin
Kripa Karahu Gurudev ki nyahin
Jo sat bar path kare kohi
Chutehi bandhi maha sukh hohi
Jo yah padhe Hanuman Chalisa
Hoye siddhi sakhi Gaureesa
Tulsidas sada hari chera
Keejai Nath Hridaye mein dera
Doha
Pavan Tanay Sankat Harana
Mangala Murati Roop
Ram Lakhana Sita Sahita
Hriday Basahu Soor Bhoop
Hanuman Chalisa Lyrics in Kannada
यदि आप भारत के कर्नाटक राज्य से हैं और अब आप हनुमान चालीसा कन्नड़ भाषा में खोज रहे हैं तो दोस्तों मैं आपको बता दूँ कि आप बिलकुल सही जगह पर हैं.
Shri Hanuman Chalisa in Kannada
|| ಶ್ರೀ ಹನುಮಾನ ಚಾಲೀಸಾ ||
॥ ದೋಹಾ ॥
ಶ್ರೀ ಗುರು ಚರನ ಸರೋಜ ರಜ, ನಿಜ ಮನ ಮುಕುರ ಸುಧಾರಿ ।
ಬರನಊ ರಘುಬರ ಬಿಮಲ ಜಸು, ಜೋ ದಾಯಕು ಫಲ ಚಾರಿ ॥
ಬುದ್ಧಿಹೀನ ತನು ಜಾನಿ ಕೇ, ಸುಮಿರೌ ಪವನ ಕುಮಾರ ।
ಬಲ ಬುದ್ಧಿ ವಿದ್ಯಾ ದೇಹು ಮೋಹಿ, ಹರಹು ಕಲ್ರೇಶ ವಿಕಾರ ॥
॥ ಚೌಪಾಈ ॥
ಜಯ ಹನುಮಾನ ಜ್ಞಾನ ಗುಣ ಸಾಗರ । ಜಯ ಕಪೀಶ ತಿಹು ಲೋಕ ಉಜಾಗರ ॥
ರಾಮ ದೂತ ಅತೋಲಿತ ಬಲ ಧಾಮಾ । ಅಂಜನೀ ಪುತ್ರ ಪವನ ಸುತ ನಾಮಾ ॥
ಮಹಾವೀರ ವಿಕ್ರಮ ಬಜರಂಗೀ । ಕುಮತಿ ನಿವಾರ ಸುಮತಿ ಕೇ ಸಂಗೀ ॥
ಕಂಚನ ಬರನ ಬಿರಾಜ ಸುಬೇಸಾ । ಕಾನನ ಕುಂಡಲ ಕುಂಚಿತ ಕೇಸಾ ॥
ಹಾಥ ಬಜ್ರ ಔ ಗದಾ ಬಿರಾಜೇ । ಕಾಂಧೇ ಮೂಂಜ ಜನೇಊ ಸಾಜೇ ॥
ಸಂಕರ ಸುವನ ಕೇಸರೀ ನಂದನ । ತೇಜ ಪ್ರತಾಪ ಮಹಾ ಜಗ ಬಂದನ ॥
ವಿದ್ಯಾವಾನ ಗುಣೀ ಅತಿ ಚಾತುರ । ರಾಮ ಕಾಜ ಕರಿಬೇ ಕೋ ಆತುರ ॥
ಪ್ರಭು ಚರಿತ್ರ ಸುನಿಬೇ ಕೋ ರಸಿಯಾ । ರಾಮ ಲಖಣ ಸೀತಾ ಮನ ಬಸಿಯಾ ॥
ಸೂಕ್ಷ್ರೂಪ ಧರಿ ಸಿಯಹಿ ದಿಖಾವಾ । ಬಿಕಟ ರೂಪ ಧರಿ ಲಂಕ ಜರಾವಾ ॥
ಭೀಮ ರೂಪ ಧರಿ ಅಸುರ ಸಂಹಾರೇ । ರಾಮಚಂದ್ರ ಕೇ ಕಾಜ ಸಂವಾರೇ ॥
ಲಾಯ ಸಜಿವನ ಲಖಣ ಜಿಯಾಯೇ । ಶ್ರೀ ರಘುಬೀರ ಹರಸಿ ಉರ ಲಾಯೇ ॥
ರಘುಪತಿ ಕೀಂಹೀ ಬಹುತ ಬಡಾಈ । ತುಮ ಮಮ ಪ್ರಿಯ ಭರತಹಿ ಸಮ ಭಾಈ ॥
ಸಹಸ ಬದನ ತುಮ್ಹರೋ ಜಸ ಗಾವೈ । ಅಸ ಕಹಿ ಶ್ರೀಪತಿ ಕಂಠ ಲಗಾವೈ ॥
ಸಹಸಾದಿಕ ಬ್ರಹ್ಮಾದಿ ಮುನಿಸಾ । ನಾರದ ಸಾರದ ಸಹಿತ ಅಹೀಸಾ ॥
ಜಮ ಕುಬೇರ ದಿಗಪಾಲ ಜಹಾ ತೇ । ಕಬಿ ಕೋಬಿದ ಕಹಿ ಸಕೇ ಕಹಾ ತೇ ॥
ತುಮ ಉಪಕಾರ ಸುಗ್ರೀವಹಿ ಕೀಂಹಾ । ರಾಮ ಮಿಲಾಯ ರಾಜ ಪದ ದೀಂಹಾ ॥
ತುಮ್ಹರೇ ಮಂತ್ರ ಬಿಭೀಷಣ ಮಾನಾ । ಲಂಕೇಶ್ವರ ಭಯೇ ಸಬ ಜಗ ಜಾನಾ ॥
ಜುಗ ಸಹಸ್ತ್ರ ಯೋಜನ ಪರ ಭಾನು । ಲೀಲ್ಯೋ ತಹಿ ಮಧುರ ಫಲ ಜಾನು ॥
ಪ್ರಭು ಮುದ್ರಿಕಾ ಮೇಲಿ ಮುಖ ಮಾಹೀಂ । ಜಲಧಿಲಾಂಘಿ ಗಯೇ ಅಚರಜ ನಾಹೀಂ ॥
ದುರ್ಗಮ ಕಾಜ ಜಗತ ಕೇ ಜೇತೇ । ಸುಗಮ ಅನುಗ್ರಹ ತುಮ್ಹರೇ ತೇತೇ ॥
ರಾಮ ದುವಾರೇ ತುಮ ರಖವಾರೇ । ಹೋತ ನ ಆಜ್ಞಾ ಬಿನು ಪೈಸಾರೇ ॥
ಸಬ ಸುಖ ಲಹೈ ತುಮ್ಹಾರೀ ಸರನಾ । ತುಮ ರಕ್ಷಕ ಕಾಹೂ ಕೋ ಡರನಾ ॥
ಆಪನ ತೇಜ ಸಮ್ಹಾರೌ ಆಪೈ । ತೀನೋ ಲೋಕ ಹಾಂಕ ತೇ ಕಾಂಪೈ ॥
ಭೂತ ಪಿಸಾಚ ನಿಕಟ ನಹಿ ಆವೈ । ಮಹಾವೀರ ಜಬ ನಾಮ ಸುನಾವೈ ॥
ನಾಸೈ ರೋಗ ಹರೈ ಸಬ ಪೀರಾ । ಜಪತ ನಿರಂತರ ಹನುಮತ ಬೀರಾ ॥
ಸಂಕಟ ತೇ ಹನುಮಾನ ಛುಡಾವೈ । ಮನ ಕ್ರಮ ಬಚನ ಧ್ಯಾನ ಜೋ ಲಾವೈ ॥
ಸಬ ಪರ ರಾಮ ತಪಶ್ವೀ ರಾಜಾ । ತಿನಕೇ ಕಾಜ ಸಕಲ ತುಮ ಸಾಜಾ ॥
ಔರ ಮನೋರಥ ಜೋ ಕೋಈ ಲಾವೈ । ಸೋಈ ಅಮಿತ ಜೀವನ ಫಲ ಪಾವೈ ॥
ಚಾರೋ ಜುಗ ಪರತಾಪ ತುಮ್ಹಾರಾ । ಹೈ ಪರಸಿದ್ಧ ಜಗತ ಉಜಿಯಾರಾ ॥
ಸಾಧು ಸಂತ ಕೇ ತುಮ ರಖವಾರೇ । ಅಸುರ ನಿಕಂದನ ರಾಮ ದುಲಾರೇ ॥
ಅಷ್ಟ ಸಿದ್ಧಿ ನೌ ನಿಧಿ ಕೇ ದಾತಾ । ಅಸ ಬರ ದೀಂಹ ಜಾನಕೀ ಮಾತಾ ॥
ರಾಮ ರಸಾಯಣ ತುಮ್ಹರೇ ಪಾಸಾ । ಸದಾ ರಹೋ ರಘುಪತಿ ಕೇ ಪಾಸಾ ॥
ತುಮ್ಹರೇ ಭಜನ ರಾಮ ಕೋ ಪಾವೈ । ಜನಮ ಜನಮ ಕೇ ದುಖ ಬಿಸರಾವೈ ॥
ಅಂತ ಕಾಲ ರಘುಬರ ಪುರ ಜಾಈ । ಜಹಾ ಜನಮ ಹರಿ ಭಕ್ತ ಕಹಾಈ ॥
ಔರ ದೇವತಾ ಚಿತ್ತ ನ ಧರಈ । ಹನುಮತ ಸೇಈ ಸರ್ಬ ಸುಖ ಕರಈ ॥
ಸಂಕಟ ಕಟೈ ಮಿಟೈ ಸಬ ಪೀರಾ । ಜೋ ಸುಮಿರೈ ಹನುಮ್ತ ಬಲಬೀರಾ ॥
ಜೈ ಜೈ ಜೈ ಹನುಮಾನ ಗೋಸಾಈ । ಕೃಪಾ ಕರೌ ಗುರೂದೇವ ಕೀ ನಾಈ ॥
ಜೋ ಸತ ಬಾರ ಪಾಠ ಕರ ಕೋಈ । ಛೂಟಹಿ ಬಂದಿ ಮಹಾ ಸುಖ ಹೋಈ ॥
ಜೋ ಯಹ ಪಢೈ ಹನುಮಾನ ಚಲೀಸಾ । ಹೋಯ ಸಿದ್ಧ ಸಾಖೀ ಗೌರೀಸಾ ॥
ತುಲಸೀದಾಸ ಸದಾ ಹರಿ ಚೇರಾ । ಕೀಜೈ ನಾಥ ಹೃದಯ ಮಂಹ ಡೇರಾ ॥
॥ ದೋಹಾ ॥
ಪವನ ತನಯ ಸಂಕಟ ಹರನ, ಮಂಗಲ ಮೂರತ ರೂಪ ।
ರಾಮ ಲಖನ ಸೀತಾ ಸಹಿತ, ಹೃದಯ ಬಸಹು ಸುರ ಭೂಪ ॥
Hanuman Chalisa Lyrics in Telugu
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Shri Hanuman Chalisa in Telugu
|| హనుమాన్ చాలీసా ||
|| దోహా ||
శ్రీ గురు చరణ సరోజ రజ నిజమన ముకుర సుధారి |
వరణౌ రఘువర విమలయశ జో దాయక ఫలచారి ||
బుద్ధిహీన తనుజానికై సుమిరౌ పవన కుమార |
బల బుద్ధి విద్యా దేహు మోహి హరహు కలేశ వికార్ ||
|| చౌపాయీ ||
జయ హనుమాన జ్ఞానగుణసాగర
జయ కపీశ తిహుం లోక ఉజాగర | 1
రామదూత అతులితబలధామా
అంజనిపుత్ర పవనసుతనామా | 2
మహావీర విక్రమ బజరంగీ
కుమతి నివార సుమతి కే సంగీ | 3
కంచనవరన విరాజ సువేసా
కానన కుండల కుంచిత కేశా | 4
హాథ వజ్ర అరు ధ్వజా విరాజై
కాంధే మూంజ జనేవూ సాజై | 5
శంకరసువన కేసరీనందన
తేజ ప్రతాప మహాజగవందన | 6
విద్యావాన గుణీ అతిచాతుర
రామ కాజ కరివే కో ఆతుర | 7
ప్రభు చరిత్ర సునివే కో రసియా
రామ లఖన సీతా మన బసియా | 8
సూక్ష్మ రూప ధరి సియహిం దిఖావా
వికట రూప ధరి లంక జరావా | 9
భీమ రూప ధరి అసుర సంహారే
రామచంద్ర కే కాజ సంవారే | 10
లాయ సంజీవన లఖన జియాయే
శ్రీరఘువీర హరషి ఉర లాయే | 11
రఘుపతి కీన్హీ బహుత బడాయీ
కహా భరత సమ తుమ ప్రియ భాయీ | 12
సహస వదన తుమ్హరో యస గావైం
అస కహి శ్రీపతి కంఠ లగావై | 13
సనకాదిక బ్రహ్మాది మునీశా
నారద శారద సహిత అహీశా | 14
యమ కుబేర దిగపాల జహాం తే
కవి కోవిద కహి సకే కహాం తే | 15
తుమ ఉపకార సుగ్రీవహిం కీన్హా
రామ మిలాయ రాజపద దీన్హా | 16
తుమ్హరో మంత్ర విభీషన మానా
లంకేశ్వర భయే సబ జగ జానా | 17
యుగ సహస్ర యోజన పర భానూ
లీల్యో తాహి మధుర ఫల జానూ | 18
ప్రభు ముద్రికా మేలి ముఖమాహీ
జలధి లాంఘి గయే అచరజ నాహీం | 19
దుర్గమ కాజ జగత కే జేతే
సుగమ అనుగ్రహ తుమ్హరే తేతే | 20
రామ ద్వారే తుమ రఖవారే
హోత న ఆజ్ఞా బిను పైసారే | 21
సబ సుఖ లహై తుమ్హారీ శరణా
తుమ రక్షక కాహూ కో డరనా | 22
ఆపన తేజ సంహారో ఆపై
తీనోం లోక హాంక తేం కాంపై | 23
భూత పిశాచ నికట నహిం ఆవై
మహావీర జబ నామ సునావై | 24
నాసై రోగ హరై సబ పీరా
జపత నిరంతర హనుమత వీరా | 25
సంకటసే హనుమాన ఛుడావై
మన క్రమ వచన ధ్యాన జో లావై | 26
సబ పర రామ తపస్వీ రాజా
తిన కే కాజ సకల తుమ సాజా | 27
ఔర మనోరథ జో కోయీ లావై
సోయీ అమిత జీవన ఫల పావై | 28
చారోం యుగ పరతాప తుమ్హారా
హై పరసిద్ధ జగత ఉజియారా | 29
సాధు సంత కే తుమ రఖవారే
అసుర నికందన రామ దులారే | 30
అష్ట సిద్ధి నవ నిధి కే దాతా
అస వర దీన జానకీ మాతా | 31
రామ రసాయన తుమ్హరే పాసా
సదా రహో రఘుపతి కే దాసా | 32
తుమ్హరే భజన రామ కో పావై
జనమ జనమ కే దుఖ బిసరావై | 33
అంత కాల రఘుపతి పుర జాయీ
జహాం జన్మ హరిభక్త కహాయీ | 34
ఔర దేవతా చిత్త న ధరయీ
హనుమత సేయి సర్వ సుఖ కరయీ | 35
సంకట హరై మిటై సబ పీరా –
జో సుమిరై హనుమత బలబీరా | 36
జై జై జై హనుమాన గోసాయీ
కృపా కరహు గురు దేవ కీ నాయీ | 37
జో శత బార పాఠ కర కోయీ
ఛూటహి బంది మహా సుఖ హోయీ | 38
జో యహ పఢై హనుమాన చలీసా
హోయ సిద్ధి సాఖీ గౌరీసా | 39
తులసీదాస సదా హరి చేరా
కీజై నాథ హృదయ మహ డేరా | 40
|| దోహా ||
పవనతనయ సంకట హరణ మంగల మూరతి రూప్
రామ లఖన సీతా సహిత హృదయ బసహు సుర భూప్ |
Hanuman Chalisa Lyrics in Bengali
अब इस लेख के आखिर में मैं आपके लिए हनुमान चालीसा बंगाली भाषा में अपडेट करने जा रहा हूँ, तो यदि आप इसे सर्च कर रहे थे तो मैं आपको बता दूँ कि आप बिलकुल सही जगह पर है.
Shri Hanuman Chalisa in Bengali
রচন: তুলসী দাস : দোহা
শ্রী গুরু চরণ সরোজ রজ নিজমন মুকুর সুধারি |
বরণৌ রঘুবর বিমলয়শ জো দায়ক ফলচারি ||
বুদ্ধিহীন তনুজানিকৈ সুমিরৌ পবন কুমার |
বল বুদ্ধি বিদ্য়া দেহু মোহি হরহু কলেশ বিকার ||
চৌপাঈ
জয় হনুমান জ্ঞান গুণ সাগর |
জয় কপীশ তিহু লোক উজাগর || 1 ||
রামদূত অতুলিত বলধামা |
অংজনি পুত্র পবনসুত নামা || 2 ||
মহাবীর বিক্রম বজরঙ্গী |
কুমতি নিবার সুমতি কে সঙ্গী ||3 ||
কংচন বরণ বিরাজ সুবেশা |
কানন কুংডল কুংচিত কেশা || 4 ||
হাথবজ্র ঔ ধ্বজা বিরাজৈ |
কাংথে মূংজ জনেবূ সাজৈ || 5||
শংকর সুবন কেসরী নন্দন |
তেজ প্রতাপ মহাজগ বন্দন || 6 ||
বিদ্য়াবান গুণী অতি চাতুর |
রাম কাজ করিবে কো আতুর || 7 ||
প্রভু চরিত্র সুনিবে কো রসিয়া |
রামলখন সীতা মন বসিয়া || 8||
সূক্ষ্ম রূপধরি সিয়হি দিখাবা |
বিকট রূপধরি লংক জরাবা || 9 ||
ভীম রূপধরি অসুর সংহারে |
রামচংদ্র কে কাজ সংবারে || 1০ ||
লায় সংজীবন লখন জিয়ায়ে |
শ্রী রঘুবীর হরষি উরলায়ে || 11 ||
রঘুপতি কীন্হী বহুত বডায়ী |
তুম মম প্রিয় ভরতহি সম ভায়ী || 12 ||
সহস বদন তুম্হরো য়শগাবৈ |
অস কহি শ্রীপতি কণ্ঠ লগাবৈ || 13 ||
সনকাদিক ব্রহ্মাদি মুনীশা |
নারদ শারদ সহিত অহীশা || 14 ||
য়ম কুবের দিগপাল জহাং তে |
কবি কোবিদ কহি সকে কহাং তে || 15 ||
তুম উপকার সুগ্রীবহি কীন্হা |
রাম মিলায় রাজপদ দীন্হা || 16 ||
তুম্হরো মন্ত্র বিভীষণ মানা |
লংকেশ্বর ভয়ে সব জগ জানা || 17 ||
য়ুগ সহস্র য়োজন পর ভানূ |
লীল্য়ো তাহি মধুর ফল জানূ || 18 ||
প্রভু মুদ্রিকা মেলি মুখ মাহী |
জলধি লাংঘি গয়ে অচরজ নাহী || 19 ||
দুর্গম কাজ জগত কে জেতে |
সুগম অনুগ্রহ তুম্হরে তেতে || 2০ ||
রাম দুআরে তুম রখবারে |
হোত ন আজ্ঞা বিনু পৈসারে || 21 ||
সব সুখ লহৈ তুম্হারী শরণা |
তুম রক্ষক কাহূ কো ডর না || 22 ||
আপন তেজ তুম্হারো আপৈ |
তীনোং লোক হাংক তে কাংপৈ || 23 ||
ভূত পিশাচ নিকট নহি আবৈ |
মহবীর জব নাম সুনাবৈ || 24 ||
নাসৈ রোগ হরৈ সব পীরা |
জপত নিরংতর হনুমত বীরা || 25 ||
সংকট সেং হনুমান ছুডাবৈ |
মন ক্রম বচন ধ্য়ান জো লাবৈ || 26 ||
সব পর রাম তপস্বী রাজা |
তিনকে কাজ সকল তুম সাজা || 27 ||
ঔর মনোরধ জো কোয়ি লাবৈ |
তাসু অমিত জীবন ফল পাবৈ || 28 ||
চারো য়ুগ পরিতাপ তুম্হারা |
হৈ পরসিদ্ধ জগত উজিয়ারা || 29 ||
সাধু সন্ত কে তুম রখবারে |
অসুর নিকন্দন রাম দুলারে || 3০ ||
অষ্ঠসিদ্ধি নব নিধি কে দাতা |
অস বর দীন্হ জানকী মাতা || 31 ||
রাম রসায়ন তুম্হারে পাসা |
সাদ রহো রঘুপতি কে দাসা || 32 ||
তুম্হরে ভজন রামকো পাবৈ |
জন্ম জন্ম কে দুখ বিসরাবৈ || 33 ||
অংত কাল রঘুবর পুরজায়ী |
জহাং জন্ম হরিভক্ত কহায়ী || 34 ||
ঔর দেবতা চিত্ত ন ধরয়ী |
হনুমত সেয়ি সর্ব সুখ করয়ী || 35 ||
সংকট কটৈ মিটৈ সব পীরা |
জো সুমিরৈ হনুমত বল বীরা || 36 ||
জৈ জৈ জৈ হনুমান গোসায়ী |
কৃপা করো গুরুদেব কী নায়ী || 37 ||
জো শত বার পাঠ কর কোয়ী |
ছূটহি বন্দি মহা সুখ হোয়ী || 38 ||
জো য়হ পডৈ হনুমান চালীসা |
হোয় সিদ্ধি সাখী গৌরীশা || 39 ||
তুলসীদাস সদা হরি চেরা |
কীজৈ নাথ হৃদয় মহ ডেরা || 4০ ||
|| দোহা ||
পবন তনয় সঙ্কট হরণ – মঙ্গল মূরতি রূপ |
রাম লখন সীতা সহিত – হৃদয় বসহু সুরভূপ ||
সিয়াবর রামচন্দ্রকী জয় | পবনসুত হনুমানকী জয় | বোলো ভায়ী সব সন্তনকী জয় |
Final Words on Hanuman Chalisa in Hindi
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FAQ Related To Hanuman Chalisa
Q.1 हनुमान चालीसा की रचना किसने की थी?
अब हम जानेंगे हनुमान चालीसा की रचना किसने की थी? जहां जहां भगवान श्री राम का नाम आता है वहां उनके भक्त हनुमान जी का नाम जरूर आता है
इसलिए बजरंगबली के भक्त मंगलवार के दिन उनकी पूजा अर्चना करते हैं और कई लोग श्री हनुमान चालीसा भी पढ़ते हैं, हनुमान जी को शिव जी का अवतार भी माना जाता है।
हनुमान चालीसा की रचना सर्वप्रथम गोस्वामी तुलसीदास द्वारा की गई थी। वे हनुमान जी के परम भक्त थे तथा उन्होंने हनुमान जी पर कई रचनाएं भी की है। गोस्वामी तुलसीदास को हिंदी साहित्य के महान कवि के रूप में जाना जाता है
उन्हें रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि का अवतार भी माना जाता है।
हनुमान चालीसा के अलावा गोस्वामी तुलसीदास ने हनुमान जी की स्तुति में हनुमानाष्टक हनुमान बाहुक की रचनाएं भी की।
माना जाता है बाल्यावस्था में ही गोस्वामी तुलसीदास ने हनुमान चालीसा की रचना की थी। मान्यता है एक बालक ने स्वयं पवन पुत्र से जो बातचीत की थी और हनुमान चालीसा उसी का एक भाग है।
Q.2 हनुमान चालीसा सुनने से क्या होता है?
भगवान श्री गणेश की तरह ही हनुमान जी अपने भक्तों के कष्टों का हरण करते हैं जब उनके भक्त हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं तो उसके कई सारे फायदे होते हैं:-
हनुमान चालीसा पढ़ने के फायदे
संकट की स्थिति में हनुमान चालीसा का पाठ व्यक्ति को आंतरिक शक्ति देता है एवं विषम परिस्थितियों में निपटने का मनोबल देता है।
तनाव को कम करने एवं मन को शांत करने के लिए हनुमान चालीसा पाठ बेहद लाभदायक होता है।
व्यक्ति के हृदय से डर, भय तथा अन्य कष्टों को दूर करने का कार्य होता है।
यदि व्यक्ति को बुरी शक्तियां परेशान करती है तो हनुमान चालीसा का पाठ करना उस व्यक्ति के लिए बेहद लाभदायक होता है।
मान्यता है कि यात्रा शुरू करने से पूर्व यदि श्री हनुमान चालीसा पाठ किया जाए तो यात्रा सफल सुखद होती है।
बजरंगबली बुद्धि एवं बल दोनों के ईश्वर माने जाते है और हनुमान चालीसा के पाठ से हमें यह दोनों ही प्राप्त होते हैं।
Q.3 हनुमान चालीसा कितनी बार पढ़ना चाहिए?
एक सवाल यह भी कई पाठकों के मन में आता है कि आखिर दिन भर में हनुमान चालीसा का कितनी बार हमें पाठ करना चाहिए?
इसका सरल एवं स्पष्ट उत्तर तो हम भी नहीं दे सकते लेकिन हिंदू आध्यात्मिक नेता एवं उपदेशक मोरारी बापू का कहना है कि आप हनुमान चालीसा का पाठ
दिन में 11 बार या 9 बार या 7 बार अगर इतना भी नहीं हो सकता है तो 5 बार अगर यह भी संभव नहीं है तो सिर्फ आप इन लाइनस के माध्यम से बजरंगबली को याद कर सकते हैं।
जय जय जय हनुमान गोसाई कृपा करो गुरुदेव की नाई इसके साथ ही वे कहते है कि अगर आप यह भी नहीं कर सकते, इतने से भी आप को राहत नहीं हैं तो कृपया जो लोग हनुमान चालीसा पाठ करते हैं उन लोगों की निंदा ना करें।
Q.4 हनुमान चालीसा में कितने दोहे हैं?
हनुमान चालीसा में कुल 40 दोहे हैं जिन्हें 40 चौपाई भी कहा जाता है। हनुमान चालीसा में चालीस छंद होते हैं इसलिए इसे चालीसा कहा जाता है।
Q.5 हनुमान जयंती कब मनाई जाती है?
जयंती का अर्थ है जिस दिन जन्म हुआ हो…अनेक महापुरुषों एवं देवताओं की तरह ही हिंदुओं के धार्मिक पर्व हनुमान जयंती पूरे देश भर में मनाई जाती है।
प्रतिवर्ष हनुमान जयंती प्रत्येक चैत्र मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है। भक्तों जैसा कि आप जानते होंगे हनुमान जी के अवतार दिवस जन्मदिन के रूप में हनुमान जयंती मनाई जाती है।
हनुमान जी भगवान श्रीराम के परम भक्त थे इसीलिए हनुमान जयंती के पर्व के दिन श्रद्धा पूर्वक भक्तजनों द्वारा भगवान राम, सीता माता एवं लक्ष्मण सहित हनुमान जी का पूजन कर उन्हें प्रसन्न किया जाता है।
हनुमानजी के भक्त होने के नाते आप भी जानते होंगे साल में हनुमान जयंती दो बार मनाई जाती है। पहली बार चैत्र शुक्ल पूर्णिमा में अर्थात ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार इसे हम मार्च अप्रैल का महीना कहते है
तथा अक्टूबर माह के आसपास दूसरे कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी के दिन मनाई जाती है। वर्ष में दो बार हनुमान जयंती को मनाने के पीछे क्या वजह है आइए जानते है।
Q.6 हनुमान जयंती को मनाने के पीछे की वजह क्या है?
चैत्र पूर्णिमा को हनुमान जी की जन्मतिथि के रूप में हनुमान जयंती मनाई जाती है। जब हनुमान जी को माता अंजनी ने जन्म दिया। बाल्यावस्था में चैत्र पूर्णिमा के दिन उन्हें बहुत भूख लग गई और वे सूर्य को फल समझकर खाने के लिए चले गए
लेकिन उसी दिन राहु भी सूर्य को खाने के लिए तैयार था लेकिन सूर्य ने उन्हें दूसरा राहु समझ लिया और तब से ही चैत्र मास की पूर्णिमा को हनुमान जयंती मनाई जाती है। जबकि दूसरी बार कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी के दिन हनुमान जयंती इसलिए मनाई जाती है
क्योंकि कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी के दिन उनका जन्म हुआ।
श्री हनुमान चालीसा के इस लेख को आपने अंत तक पढ़ा उसके लिए आपका धन्यवाद, यदि इस लेख को लेकर आपने मन में कोई डाउट या कोई भी प्रश्न आता है तो नीचे दिये गए कमेंट बॉक्स में कमेंट करके मेरे साथ शेयर करना ना भूलें।